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 हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर हिंदी लेखक की जीवनी का एक वेकलेट संग्रह देखें और आनंद लें


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K.V. SECTOR-8 ROHINI

 CELEBRATES 

75th INDEPENDENCE DAY

 National Librarian's Day 


12 August 1892 – 27 September 1972

Shiyali Ramamrita Ranganathan was a librarian and mathematician from India. His most notable contributions to the field were his five laws of library science and the development of the first major faceted classification system, the colon classification. He is considered to be the father of library science, documentation, and information science in India and is widely known throughout the rest of the world for his fundamental thinking in the field. His birthday is observed every year as the National Librarian Day in India


Mathematician and librarian par-excellence, Shiyali Ramamrita Ranganathan or S.R. Ranganathan passed away on this day, September 27, in the year 1972.


Listed below are some facts on the S.R. Ranganathan  that you must know:


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मुंशी प्रेमचंद के बारे मे जाने

मुंशी प्रेमचंद जी की 141वीं जयंती समारोह



जीवन परिचय

'मुंशी प्रेमचंद' का जन्म 31 जुलाई, 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट लमही नामक ग्राम में हुआ था। उनका वास्तविक नाम ‘धनपत राय’ था। प्रेमचंद उनका साहित्यिक नाम था और बहुत वर्षों बाद उन्होंने यह नाम अपनाया था। उनके पिता, मुंशी अजायब लाल, डाकमुंशी थे। उनकी माता आनन्दी देवी सुन्दर, सुशील और घरेलू महिला थीं।


प्रेमचंद का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। गरीबी से लड़ते हुए उन्होंने जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में मैट्रिक पास किया। एक स्थानीय विद्यालय में अध्यापक के पद पर नौकरी के साथ साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषयों से स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की। 8 अक्टूबर, 1936 को उनका देहावसान हुआ।


प्रेमचंद बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे। प्रेमचंद की रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया। उनकी कृतियां भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियां हैं। वे भारतीय जीवन के जीवंत क़लमकार के रूप में हुए हैं।


प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की, किन्तु प्रमुख रूप से वह कथाकार हैं। उन्हें अपने जीवन काल में ही 'उपन्यास सम्राट' की पदवी मिल गई थी। 'पंच परमेश्वर', 'बड़े भाई साहब', 'नमक का दारोगा', 'कफ़न', 'परीक्षा', 'शतरंज के खिलाड़ी', 'मंत्र', 'पूस की रात' आदि प्रेमचंद की उन 300 कहानियों में से प्रसिद्ध कहानियाँ हैं जो उन्होंने लगभग 24 संग्रहों में प्रकाशित की हैं। कहानियों के अलावा प्रेमचंद ने 'निर्मला', 'प्रेमाश्रम', 'कर्मभूमि', 'गबन', 'सेवासदन', 'रंगभूमि', 'गोदान' आदि उपन्यास भी लिखे। 

 

प्रेमचंद एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, जिम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब हिन्दी में काम करने की तकनीकी सुविधाएं नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। प्रेमचंद के साहित्य पर इस देश में और बाहर भी शोध कार्य हुए हैं। इसलिए न केवल हिंदी साहित्य में बल्कि विश्व साहित्य में प्रेमचंद का विशेष स्थान है। महान साहित्यकार व आधुनिक हिंदी के पितामह के रूप में मुंशी प्रेमचंद को सदैव याद किया जायेगा।  


NATIONAL EDUCATION POLICY




 

 INTERNATIONAL TIGAR DAY


International Tiger Day is celebrated on July 29 to raise awareness about the conservation of the wild cat, which over the last 150 years has witnessed a massive drop of nearly 95% in its population. However, with several countries taking measures to curb poaching, illegal wildlife trade, human-wildlife conflict, and habitat loss, etc, the tiger population has shown some growth. Not just that, cutting of trees also contributes significantly to habitat loss, thereby leading to the reduction in the number of tigers. 

History of International Tiger Day:

On July 29, 2010, a number of countries became signatories to an agreement at the Saint Petersburg Tiger Summit in Russia. The countries pledged to raise awareness about the dramatic fall in the number of tigers and the steps required to preserve the species from going extinct. Not just that, various tiger-populated countries also vowed that they would try to double the population of the animal by 2022. 

Theme of International Tiger Day, 2021

The theme for the 2021 International Tiger Day is “Their survival is in our hands”. Last year, the day was observed online due to the novel coronavirus pandemic, but there was no lack of enthusiasm. People across the world understood the significance of the day and contributed to celebrations in their own ways. Interestingly, India accounts for nearly 70% of the world's total tiger population and has already achieved the target of doubling its numbers.

KINARA : A Short Video on Tigar Conservation



source : NDTV news